कर्म

 कर्म अर्थात् वह जो किया जाये। काम या करनी। वे कार्य जो नैतिक या धार्मिक दृष्टि से कर्तव्य समझकर करने होते हैं। जैसे- विद्वानों का अध्यापन।


वे धार्मिक कार्य जो शास्त्रीय विधि-विधान से करने होते हैं अर्थात् शास्त्रविहित कर्म। जैसे- विवाह कर्म, अंत्येष्टि कर्म आदि।

'ब्रह्मवैवर्त पुराण' के अनुसार कर्म दो प्रकार के होते हैं-

शुभ

अशुभ

वेदोक्त कर्म शुभ हैं। इनके प्रभाव से प्राणी कल्याण के भागी होते हैं। वेद में जिसका स्थान नहीं है, वह अशुभ कर्म नरकप्रद है।

Post a Comment

Previous Post Next Post